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लेखनी कहानी -04-Jun-2022 मुक्तक : उनके आने की आहट से

उनके आने की आहट से इस कदर मदहोश हुए 
पलकें मुंदने लगीं और नाजुक लब खामोश हुए 
बदहवासी में कदम कहीं के कहीं पड़ने लगे 
और हर्षातिरेक में सनम हम आज बेहोश हुए 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
4.6.22 

   17
5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Jun-2022 11:58 AM

बेहतरीन रचना

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Joseph Davis

05-Jun-2022 11:57 PM

Nyc

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Saba Rahman

05-Jun-2022 11:17 PM

Nyc

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